बाल विकास, शिक्षा मनोविज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है
विकास की अवधारणा :-
विकास की प्रक्रिया क्रमिक तथा सतत् प्रक्रिया है।
विकास की प्रक्रिया मे बालक का शारीरिक,क्रियात्मक, संज्ञानात्मक, भाषागत,संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास होता है। बाल विकास से तात्पर्य:-
बालक के विकास से है-बालक के विकास की प्रक्रिया उसके जन्म से पहले गर्भ में ही शुरू होजाती है।इस प्रक्रिया में वह गर्भावस्था, शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था, प्रौढावस्था आदि अवस्था से गुजरते हुए परिपक्वता की स्थिति प्राप्त करता है। मानव विकास की अवस्थाएंँ :-
मानव विकास एक सतत् प्रक्रिया है।शारीरिक विकास, तो एक सीमा के बाद रुक जाता है।लेकिन मनोशारीरिक क्रियाओं में विकास निरन्तर होता रहता है
इसके अंतर्गत मानसिक,भाषाई ,संवेगात्मक, सामाजिक एवं चारित्रिक विकास आते है।इनका विकास विभिन्न आयु स्तरों मे भिन्न-भिन्न प्रकार से होता है।इन आयु स्तरों को मानव विकास की अवस्थाएं कहते है।
यह अवस्थाएं निम्न है...
1.शैशवावस्था--जन्म से 2 वर्ष तक
2.बाल्यावस्था--2 वर्ष से 12 वर्ष तक
3.किशोरावस्था--12 वर्ष से 19 वर्ष तक
4.वयस्कावस्था--19 वर्ष से मृत्यु तक
विकास की प्रक्रिया क्रमिक तथा सतत् प्रक्रिया है।
विकास की प्रक्रिया मे बालक का शारीरिक,क्रियात्मक, संज्ञानात्मक, भाषागत,संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास होता है। बाल विकास से तात्पर्य:-
बालक के विकास से है-बालक के विकास की प्रक्रिया उसके जन्म से पहले गर्भ में ही शुरू होजाती है।इस प्रक्रिया में वह गर्भावस्था, शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था, प्रौढावस्था आदि अवस्था से गुजरते हुए परिपक्वता की स्थिति प्राप्त करता है। मानव विकास की अवस्थाएंँ :-
मानव विकास एक सतत् प्रक्रिया है।शारीरिक विकास, तो एक सीमा के बाद रुक जाता है।लेकिन मनोशारीरिक क्रियाओं में विकास निरन्तर होता रहता है
इसके अंतर्गत मानसिक,भाषाई ,संवेगात्मक, सामाजिक एवं चारित्रिक विकास आते है।इनका विकास विभिन्न आयु स्तरों मे भिन्न-भिन्न प्रकार से होता है।इन आयु स्तरों को मानव विकास की अवस्थाएं कहते है।
यह अवस्थाएं निम्न है...
1.शैशवावस्था--जन्म से 2 वर्ष तक
2.बाल्यावस्था--2 वर्ष से 12 वर्ष तक
3.किशोरावस्था--12 वर्ष से 19 वर्ष तक
4.वयस्कावस्था--19 वर्ष से मृत्यु तक
यदि इस लेख में कोई त्रुटि हो तो उससें अवगत करायेंं
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