वर्णमाला

वर्णमाला= वर्णों के शृंखला को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी में वर्णो की कुल संख्या 45 है। इन्हें उच्चारण और प्रयोग के आधार पर दो वर्ग में बाटा गया है
स्वर
व्यंजन

स्वर:-वे ध्वनियाँ जो स्वतंत्र रुप से बोली जाती हैं और इनका प्रयोग मात्रा के रुप में भी किया जाता है
स्वरों की संख्या 11 है
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ

स्वरों के मुख्यतः दो भेद है
हास्व स्वर
दीर्घ स्वर

हास्व स्वर:-  जिन स्वर के उच्चारण में कम से कम समय लगता है उन्हें हास्व स्वर कहते है ।अ इ उ ऋ इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।

दीर्घ स्वर:- जिन स्वरों के उच्चारण में हास्य स्वरों से दुगना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं ।जैसे आ ई ऊ ए ऐ ओ औ।

व्यंजन
     जिन वर्णों  के पूर्ण उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है उन्हें व्यंजन कहते हैं।
व्यंजनों की संख्या 33है। इन्हें मुख्यतः तीन भागों में बाटा गया है

स्पर्श व्यंजन
अंतस्थ व्यंजन
ऊष्म व्यंजन

स्पर्श व्यंजन:- इन्हें पांच वर्ग में बाटा गया है सभी वर्ग का नाम पहले अक्षर से रखा गया है

क वर्ग :- क् ख् ग् घ् ङ्
च वर्ग:- च् छ् ज् झ् ञ्
ट वर्ग :-  ट् ठ् ड् ढ् ण्
 त वर्ग:- त् थ् द् ध् न्
प वर्ग :- प् फ् ब् भ् म्

अंतस्थ व्यंजन:- इनकी संख्या 4 है।
य् र् ल् व्

ऊष्म व्यंजन :- इनकी संख्या 4होती है।
श् ष् स् ह्

संयुक्त व्यंजन :-क्ष त्र ज्ञ श्र

द्विगुण व्यंजन:-ड़ ढ़

देवनागरी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण है ।

देवनागरी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 11 है।

देवनागरी वर्णमाला में अ  की कोई मात्रा नहीं होती।
देवनागरी वर्णमाला में पांच वर्ग है जिन्हें क्रम से क वर्ग च वर्ग ट वर्ग त वर्ग प वर्ग कहा जाता है।
इनमें से प्रत्येक वर्ग में पांच वर्ण हैं ।
अनुस्वार को व्यंजन के साथ प्रयुक्त करने पर यह व्यंजन के ऊपर बिंदु के रूप में आता है

विसर्ग का प्रयोग व्यंजन के बाद दो ऊर्ध्वाधर ः बिंदुओं के रूप में होता है

देवनागरी वर्णमाला के व्यंजनों का वर्गीकरण उनके उच्चारण स्थान एवं उच्चारण के लिए प्रयोग किए जाने वाले आधार पर किया जाता है

संयुक्त व्यंजन मुख्यतः  दो वर्णों के मेल से बने व्यंजन है।
क्ष            क् +ष
त्र             त् +र
ज्ञ             ज् +ञ
श्र             श्  +र

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