समाजीकरण

समाजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो नवजात शिशु को सामाजिक प्राणी बनाती है इस प्रक्रिया के अभाव में व्यक्ति सामाजिक प्राणी नहीं बन सकता है। इसी से सामाजिक व्यक्तित्व का विकास होता है सामाजिक सांस्कृतिक विरासत के तत्वों का परिचय भी इसी से प्राप्त होता है ।सामाजिक कारण से ना केवल मानव जीवन का प्रभाव अखंड तथा सतत रहता है बल्कि इससे मानवोचित गुणों का विकास भी होता है और व्यक्ति सुसभ्य व सुसंस्कृत भी बनता है। संस्कृत का हस्तांतरण भी समाजीकरण की प्रक्रिया द्वारा ही होता है समाजीकरण की प्रक्रिया के बिना व्यक्ति सामाजिक गुणों को प्राप्त नहीं कर सकता अतः यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है।
वोगार्ड्स ने समाजीकरण की परिभाषा इस प्रकार दी हैं समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति सामाजिक कल्याण हेतु एक दूसरे पर निर्भर रहकर व्यवहार करना सीखते हैं और जिसके द्वारा सामाजिक आत्म नियंत्रण सामाजिक उत्तरदायित्व तथा संतुलित व्यक्ति का अनुभव प्राप्त करते हैं।

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