भाषा दोष

भाषा दोष
यदि बालक अपने स्वर यंत्रों पर नहीं कर पाता है तो उसमें बाड़ी दोष उत्पन्न हो जाता है ऐसे बालक समाज से कतराने लगते हैं इनमें ताकि ग्रंथ विकसित हो जाती है यह अकेले नहीं रहते हैं किसी के सामने बोलने में सकते हैं आशा दोष का प्रभाव बालक के जीवन में अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ता है उनकी शैक्षिक उपलब्धि भी प्रभावित होती है इन बालकों को पिछड़ा बालक कहा जाता है यह भाषा दोष के प्रकार के हैं।
ध्वनि परिवर्तन
ध्वनि परिवर्तन का दोष उन बच्चों में पाया जाता है जिनके स्वर से संबंधित अवयव परिपक्व नहीं होते हैं या उनका विकास उचित ढंग से नहीं होता है जैसे दांत तालू होठ जबड़े आदि। इसलिए वाणी पर नियंत्रण नहीं हो पाता है उदाहरण के लिए यदि दांत नहीं है या टूटे हैं तो ध्वनि में परिवर्तन हो जाता है
हरलॉक के अनुसार
अशुद्ध उच्चारण में अक्षर ध्वनि का प्रतिस्थापन होता है उदाहरण के लिए पानी को मानी, करेला को कसैला पेड़ को पेर कहता है आयुवृद्धिके साथ ऐसे दोष दूर हो जाते हैं
अस्पष्ट उच्चारण
अस्पष्ट उच्चारण का कारण ।जिह्वा होठ तथा जबडों की निष्कपटता है। उच्चारण दोस व्यस्कों में भी पाया जाता है क्योंकि यह आंगिक होता है इसलिए इसे दूर नहीं किया जा सकता है कुछ होते हैं जिन्हें सहानुभूति एवं प्रेम द्वारा दूर किया जा सकता है लकवा किसी दुर्घटना के कारणों में विकृतियां आ जाते हैं। दूसरों पर नियंत्रण नहीं हो पाता है बाड़ी उच्चारण दोष दूर हो जाता है
हकलाना
हकलाने  मैं ध्वनि अवरुद्ध हो जाती है जिससे व्यक्ति बोलना चाहता है उसे बोलने में समय लगता है तथा प्रयास करना पड़ता है सहजता से ध्वनियों का उच्चारण नहीं होता है इसमें गले में अटक सा जाता है मुंह से आवाज निकलती है लेकिन अच्छा नहीं निकल पाता है इसलिए एक ही अच्छा को तेजी से कई बार दोहराता है हकलाना एक गंभीर दोस्त हैं हकलाने वाले बालक में हीन भावना आ जाती है हकलाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे संवेगात्मक तनाव मस्तिष्क संबंधी विकृतियां अंतः स्रावी ग्रंथियों का असंतुलन वंशानुक्रम शैशवावस्था में गलत सूचना सीखना याद याद आता है अकेले में हकलाने की मात्रा कम होती हैं जबकि बहुत से लोगों के सामने आ की मात्रा अधिक हो जाती है तुतलाना
तुतलाने कि क्रिया बच्चों और व्यस्कों दोनों में पाई जाती है
हरलॉक के अनुसार तुतलाना ढाई वर्षों से 3-1/2 वर्ष की अवस्था में प्रारंभ हो जाता है तुतलाने में हकलाने की तरह से अक्षरों की पुनरावृत्ति होती है ।आयुवृद्धि के साथ लाने की मात्रा में कुछ कमी आ जाती है में बालक बोलने में इस समय अधिक लेते हैं।

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