संवेगात्मक रूप से विक्षिप्त बालक

भावनात्मक विक्षिप्त बालक में कुछ आंतरिक तनाव होता है जो बालक के मन में घुटन भय चिंता व्यग्रता व्याकुलता आदि पैदा करता है जिसके कारण बालक का व्यवहार उत्तेजित रहता है ऐसे बालक की प्रवृत्ति तथा व्यवहार में सामान्य उत्तेजना दिखाई देती में संवेगात्मक विक्षिप्त बालक असामान्य व्यवहार के द्वारा अपने उत्सुकता को दूर करने की कोशिश करता है अथवा वह अपने आप को संसार की तरंगों अनुमान और कल्पना उसे दूर कर लेता है ऐसे बालकों को प्रेम सुरक्षा प्रसन्नता सहयोग पहचान प्रस्थिति आज की स्कूल घर तथा समाज में आवश्यकता होती है ऐसे बालकों में यह भावना नहीं आने देना चाहिए कि वह बहिष्कृत हैं तथा उनके बारे में समाज भावनात्मक का व्यवहार नहीं रखता है
संवेगात्मक अशान्तता के कारण
संवेगात्मकअशान्तता के कारण निम्नलिखित है
जीव भौतिक कारक अंत स्त्रावी ग्रंथियों से होने वाले  स्त्राव या शरीर में कुछ रासायनिक परिवर्तन होने के कारण भी असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है उदाहरण के लिए थायराइड ग्रंथि से निकलने वाले रास के कम या अधिक होने पर मनोविकृतियां उत्पन्न होती हैं इसका लक्षण कभी डिप्रेशन और कभी इलेवेशन के रूप में दिखाई देता है
भग्न या तलाक वाले परिवार
माता-पिता का कठोर नियंत्रण या व्यवहार परिस्थितिकीय प्रभाव
विद्यालय कारण
सामाजिक कारण
आदि।

No comments:

Post a Comment

Thanks for comment