वचिंत बालक

मंचन का तात्पर्य है कि जब किसी बालक की समाज में रहते हुए सामाजिक आर्थिक व शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति ना हो सके जब  उनसे उसे वंचित रहना पड़े तब वह वंचित बालक होता है । प्रायः ऐसे बालक सुविधाओं के अभाव में आगे नहीं बढ़ पाते वह विभिन्न प्रकार की सुविधाओं जैसे आर्थिक सामाजिक व सांस्कृतिक से वंचित रह जाते हैं इन सुविधाओं के अभाव में उनका सामाजिक और सांस्कृतिक विकास सामान्य बालकों की तुलना में सामान्य नहीं हो पाता है जिसके कारण विकास में गतिरोध आ जाता है इस प्रकार क्षमता रखने पर भी ऐसे बालक वातावर्णात्मक सुविधाओं के अभाव में विकास नहीं कर पाते यह शिक्षा के क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है कि सामान्य बालकों से भिन्न ऐसे वंचित बालकों की शिक्षा का विशेष प्रबंध करें
वंचित बालकों की विशेषताएं वंचित बालकों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं ।
समांतर आर्थिक सामाजिक व सांस्कृतिक सुविधाओं की ओर प्रत्यय संकेत करता है असाद अच्छे बच्चों की सामाजिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पिछड़ी जाति में ऐसे बालकों में बाल्यावस्था से ही उद्दीपक दशाओं के नियंता होती है जो इनमें ज्यादातर आगे की अवस्था तक बनी रहती है ऐसे बालक सामाजिक रूप से पिछड़े होते हैं ऐसे बालकों के माता-पिता ज्यादा शिक्षित नहीं होते बालकों की पारिवारिक पृष्ठभूमि रूढ़िवादी होती है।

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