मनोवैज्ञानिको ने बालकों में भाषा विकास के उत्तरकालीन की पांच अवस्थाएं बताई हैं जो निम्नवत है जिससे होकर शिशुओं में भाषा का विकास होता है
1.दूसरों की भाषा को समझना भाषा विकास की यह सबसे पहली अवस्था है जिसमें शिशुओं को दूसरों की भाषा को समझना होता है इसके लिए यह आवश्यक है कि शिशु परिवार के सदस्यों द्वारा बोले जाने वाले वाक्यों तथा शब्दों का अर्थ समझे भाषा समझने के लिए यह आवश्यक है कि वह शब्दों का सही-सही प्रयोग करें पराया शिशु हाव भाव तथा आनंद अभिव्यक्त के आधार पर परिवार के सदस्यों की भाषा को समझने की कोशिश करता है
2.शब्दावली का निर्माण करना भाषा विकास का दूसरा महत्वपूर्ण चरण शब्दावली का निर्माण करना है शब्दावली निर्माण में बालकों को शब्दों तथा उनके अर्थ को समझना आवश्यक होता है सामान्यतः बालक वैसे शब्दों को पहले सीखते हैं जो उनकी भूख प्रेरणा से संबंधित होते हैं इसके बाद अन्य साधारण शब्दों को सीखते हैं जैसे जैसे बालक 9 शब्दों को सीखते हैं तथा पुराने शब्दों के लिए नए-नए अर्थ समझते हैं उनकी शब्दावली
3. शब्दों का वाक्यों में संगठन शब्दों को मिलाकर वाक्य बनाना और इसे बोलना बालकों के लिए कठिन कार्य हैं फिर भी 2 वर्ष की आयु से बालक शब्दों का वाक्य में गठन करने का पहला प्रयास करते हैं परंतु ऐसा करने में उन्हें इस आयोग में आंशिक सफलता मिलती है ऐसे शब्दों को बोलने के साथ-साथ उपयुक्त हाव-भाव वह भी दिखाते हैं जिनसे उन शब्दों का अर्थ स्पष्ट हो जाता है
4.उच्चारण भाषा विकास का चौथा स्तर है शब्दों का सही सही उच्चारण करना सीखना अनुकरण द्वारा शब्दों का उच्चारण करना सीखता है माता पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों की भाषा को वह ध्यान पूर्वक सुनता है और उसकी नकल करने की कोशिश करता है 1 वर्ष तक की आयु के बालकों का उच्चारण इतना अस्पष्ट तथा बोध होता है कि उसका सही-सही अर्थ केवल उनके माता-पिता तथा परिवार के सदस्य समझ सकते हैं
5.भाषा विकास का स्वामित्व इस अंतिम अवस्था में व्यक्ति को शब्दों एवं वाक्यों का सही सही प्रयोग भाषा के व्याकरण तथा भाषा के वाक्य विन्यास आदि का ज्ञान हो जाता है उसका लिखित भाषा तथा मौखिक पर अच्छा नियंत्रण जाता है
2.शब्दावली का निर्माण करना भाषा विकास का दूसरा महत्वपूर्ण चरण शब्दावली का निर्माण करना है शब्दावली निर्माण में बालकों को शब्दों तथा उनके अर्थ को समझना आवश्यक होता है सामान्यतः बालक वैसे शब्दों को पहले सीखते हैं जो उनकी भूख प्रेरणा से संबंधित होते हैं इसके बाद अन्य साधारण शब्दों को सीखते हैं जैसे जैसे बालक 9 शब्दों को सीखते हैं तथा पुराने शब्दों के लिए नए-नए अर्थ समझते हैं उनकी शब्दावली
3. शब्दों का वाक्यों में संगठन शब्दों को मिलाकर वाक्य बनाना और इसे बोलना बालकों के लिए कठिन कार्य हैं फिर भी 2 वर्ष की आयु से बालक शब्दों का वाक्य में गठन करने का पहला प्रयास करते हैं परंतु ऐसा करने में उन्हें इस आयोग में आंशिक सफलता मिलती है ऐसे शब्दों को बोलने के साथ-साथ उपयुक्त हाव-भाव वह भी दिखाते हैं जिनसे उन शब्दों का अर्थ स्पष्ट हो जाता है
4.उच्चारण भाषा विकास का चौथा स्तर है शब्दों का सही सही उच्चारण करना सीखना अनुकरण द्वारा शब्दों का उच्चारण करना सीखता है माता पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों की भाषा को वह ध्यान पूर्वक सुनता है और उसकी नकल करने की कोशिश करता है 1 वर्ष तक की आयु के बालकों का उच्चारण इतना अस्पष्ट तथा बोध होता है कि उसका सही-सही अर्थ केवल उनके माता-पिता तथा परिवार के सदस्य समझ सकते हैं
5.भाषा विकास का स्वामित्व इस अंतिम अवस्था में व्यक्ति को शब्दों एवं वाक्यों का सही सही प्रयोग भाषा के व्याकरण तथा भाषा के वाक्य विन्यास आदि का ज्ञान हो जाता है उसका लिखित भाषा तथा मौखिक पर अच्छा नियंत्रण जाता है
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